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माननीयों कुछ तो शर्म करो…

तीखी बात
तीखी बात
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width=”300″ height=”225″ class=”alignleft size-medium wp-image-703005″ />8902_parliament राष्ट्रपति ने कहा कि संसद लोकतंत्र की गंगोत्री होती है लेकिन गंगा इतनी तेज और काली होकर बहेगी ये तो पता ही नहीं था… सांसद राष्ट्रपति के भाषण की इतनी जल्दी धज्जियां उड़ा देंगे ये तो पता ही नहीं था, संसद लोकतंत्र का मंदिर है जो ऐसे कलंकित होगा इसका अंदाजा ही नहीं था लेकिन ऐसा हुआ भी और देश ने देखा भी लेकिन जिस संसद की दीवारें इतने सालों से खड़ी हुई हैं उसने इस मिर्ची कांड को देखकर क्या सोचा होगा ये मैं भी सोच रहा हूं… देश का आम आदमी सोच रहा है एक पत्रकार सोच रहा है… लेकिन ये राजनेता कब सोचेंगे इसका पता ही नहीं… संसद में इतने बिल पास हुए एक तेलंगाना के बिल पर इतना हंगामा मचा कि संसद की गरिमा ही कलंकित हो गई। सांसद संसद के अंदर ही एक दूसरे को मारने पर उतारू हो गए और एक दूसरे की आंखों में मिर्ची डालने से भी नहीं चूके…. कहते हैं कि राजनीति जो न कराए वो थोड़ा है लेकिन इस कलंकित राजनीति में ये संभव तो था कि आपस में बैठकर इस तेलंगाना के मुद्दें को सुलझा लिया जाता तो शायद काली हो चुकी राजनीति में संसद की गरिमा तो बची रहती। यहां पर देश की आम जनता के चुने हुए नुमाइंदे आते हैं जिन्हें देश के लोकतंत्र और संविधान की रक्षा के लिए कसम दी जाती है और वो कसम भी लेते हैं कि हम लोकतंत्र की मर्यादा का ध्यान रखेंगे लेकिन आज कहां गई लोकतंत्र की मर्यादा… क्यों गला घोंट दिया गया लोकतंत्र का… क्यों अपवित्र हो गया लोकतंत्र का मंदिर… लोकतंत्र के इतिहास में ये आज का दिन ज़रूर सुनहरे अक्षरों में काले दिन की तरह याद किया जाएगा… आज जो संसद में हुआ उसको देखकर देश की जनता को ज़रूर गुस्सा आ रहा होगा कि हमने किन सांसदों को चुनकर लोकतंत्र की चौपाल में अपनी आवाज़ उठाने के लिए भेज दिया है आज के दिन संसदीय गरिमा की ऐसी धज्जियां उड़ाई गई कि संसद आज अखाड़ा बन गया, जिसका जो मन आ रहा था विरोध के लिए वो वैसा रास्ता अख्तियार कर रहा था… सीमांध्र से आने वाले तेलंगाना विरोधी विजयवाड़ा के सांसद एल राजगोपाल ने तो हद ही कर दी उन्होंने दूसरे सांसदों के ऊपर मिर्च का स्प्रे छिड़क दिया.. जिससे कई सांसद बीमार हो गए और जिनको आनन फानन में राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया गया तो वहीं हंगामे के बीच खबर आई कि संसद में चाकू भी लहराया गया लेकिन वो तस्वीरों में चाकू नहीं टूटा हुआ माइक निकला… लेकिन संसद के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ होगा कि सांसदों ने सभी मर्यादाओं को तोड़कर लोकसभा के अंदर रखे कम्प्यूटर, माइक, और कुर्सियां भी तोड़ डाली हालांकि लोकतंत्र की धज्जियां उड़ाने पर 17 सांसदों को नियम 374 के तहत निलंबित कर दिया गया लेकिन राजनीति हंगामे के बीच भी अपने पूरे चरम पर थी और पता ही नहीं चला कि लोकसभा में कब तेलंगाना बिल पेश हो गया लेकिन बाद में कानून मंत्री कपिल सिब्बल और संसदीय कार्य मंत्री कमनाथ ने बताया कि विधेयक पेश कर दिया गया है। अब सियासत उस पर भी गर्मा गई है कि बिल पेश कब हुआ और लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने सरकार के इस दावे को सिरे से खारिज कर दिया अब सवाल उठता है कि क्या संसद की गरिमा को तार तार करना सांसदों के लिए खेल हो गया है क्या राजनीति सिर्फ अपना उल्लू सीधा करने के लिए हो गई है
Shashank.gaur88@gmail.com

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