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भारत मां का दर्द…..

तीखी बात
तीखी बात
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delhi rep case

न जाने ये मेरे देश को किसकी नज़र लग गई है
कल तक तो इसमें दोस्त थे आज दुश्मन बसते हैं
भारत की आन बान शान कही जाती हैं नारियां
आज कुछ जहरीले नाग उन देवियों को ही डसते हैं
दर्द इतना है मेरी भारत मां को कि वो बयां नहीं कर पा रही है
एक के बाद एक मिले दर्दों को इस दिल में जगह नहीं दे पा रही है
फिर भी वो मां है वो खुद तो कुछ कर नहीं सकती
बच्चों को सुधारने के लिए किसी फरिश्ते का इंतज़ार किए जा रही है
गल्ती से मेरी मां ने कुछ गुंडों को फरिश्ता समझ लिया
आज उन्हीं के दिए ज़हर को वो पिए जा रही है
लेकिन उसे उम्मीद है कि एक दिन तो उसे कोई अमृत भी देगा
आज इसी उम्मीद के सहारे वो डाकुओं के बीच जिए जा रही है
इंतज़ार है उसे कि कोई तो इस देश को फिर से सिखाएगा वो प्यार
जिस प्यार के दम पर वो सदियों से एक धुरी पर टिकी आ रही है
न जाने वो दिन कब आएगा जब देश में होंगे सब फरिश्ते
अपने ईश्वर से बस यही सवाल किए जा रही है
न जाने मेरी कोख को किसकी नज़र लग गई है
वो किसी फरिश्ते को अब जन्म नहीं दे पा रही है
कल तक तो इस गोद में खेलते थे सब बेटे
आज दुश्मनों को खेलता देख आंखों का पानी बहाए जा रही है
न जाने ये मेरे देश को किसकी नज़र लग गई है
इस सवाल का जवाब ढूंढने में सदियां बिताई जा रही है ।
– written by shashank gaur

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