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सपूतों की शान का सवाल है ‘प्रधानमंत्री साहब’ ……………

तीखी बात
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sena 2

पाकिस्तान लगातार अपने नापाक इरादों से हमारे जवानों के सीने को छलनी किए जा रहा है लेकिन हम हैं कि सिर्फ बयानों के फूल उस पर बरसा रहे हैं वो हर बार एक के बाद एक चाल चल रहा है और हम उसके झूठ को पकड़ने का गेम खेलते नज़र आ रहे हैं क्या हमने कारगिल के बाद अपनी युद्धकला छोड़ दी है या हम अब युद्ध को अंजाम देना नहीं चाहते लेकिन सवाल ये है कि नेताओं के इस बयानों के जाल में देश की रक्षा करने वाले वो वीर सपूत कब तक अपनी जान गंवाते रहेंगे क्या उनके भी बारे में कोई सोचेगा क्योंकि अगर गोलियां सिर्फ एक तरफ से चलती है तो दूसरा पक्ष सिर्फ घायल ही होता है और ये इतिहास रहा है कि शुरुआत हमेशा से ही पाकिस्तान करता है और हम सिर्फ उसका जबाव ही देते हैं और अगर हिन्दुस्तान की तरफ से जबाव की बात की जाए तो हमारी तरफ से गोलियां नहीं सिर्फ बयानों के बाण चलते हैं लेकिन सवाल ये है कि खून के जबाव में हम बयानों के बाण से काम कैसे चला सकते हैं अगर नहीं तो हिन्दुस्तान कोई कारगर कदम क्यों नहीं उठाता क्यों हमारे सैनिकों को सरकार के आदेश के इंतजार में मन को मसोस कर रह जाना पड़ता है हम भी किसी से कम नहीं है ये हमारे जवान बखूबी जानते हैं साथ ही जज्बा भी उनमें कूट कूट कर भरा हुआ है लेकिन दर्द सिर्फ इस बात का है कि उनके फैसले सीधे दिल्ली से आते हैं चाहे उस फैसले के आने में कितने भी जवानों की जान चली जाए… जब हमारे सैनिक सरकार से किसी माकूल निर्णय का इंतजार करते हैं तो उन्हें सिर्फ एक बयान सुनाई पड़ता है जिसके बाद उन्हें सिर्फ अफसोस होता है अपनी सरकार पर क्यों हमारी सरकार उस जज्बे को सिर उठाने से पहले ही कुचल देती है क्या हमने अमेरिका से सबक नहीं सीखा जब पाकिस्तान और हिन्दुस्तान के बीच गहमा गहमी बढ़ती है तो अमेरिका उसमें हस्तक्षेप करने उतर आता है लेकिन जब उस पर आतंकवादी हमला हुआ था तो उसने पाकिस्तान के घर में घुसकर लादेन को मौत के घाट उतारा था, इराक पर कब्जा करने के लिए सद्दाम हुसैन को घर में घुसकर मारा था… हमें तो ये सब कुछ भी नहीं करना सिर्फ अपने जवानों की सरहद पर उनकी शान कम नहीं होने देनी है चाहे वो युद्ध के ज़रिए हो या ईंट का जबाव पत्थर से । इसलिए अब तो कुछ बोलो प्रधानमंत्री साहब …………….

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